डांसिंग कपल - ए लव स्टोरी भाग 5
भाग 5
अमर और तारा जैसे ही अपने-अपने घर पहुँचे, उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ। अब दोनों स्टार बन चुके थे। उनके घर पहुँचने पर दोनों के परिवार वालों ने खूब आतिशबाजी की और मिठाई बाँटी। हर तरफ ख़ुशी का माहौल था।
रात को सबके सोने के बाद…. अमर तारा को फोन पर मैसेज करता है।
अमर: कैसी हो तारा?
तारा: थक गयी हूँ सब रिश्तेदारों, मौहल्ले वालों के साथ स्माइल करते हुए फोटो खिंचवा-खिंचवाकर।
अमर: मेरा भी यही हाल है। कल डाँस स्कूल तो आ रही हो ना?
तारा: हाँ-हाँ, जरूर…. चलो सोने दो अब, मुझे नींद आ रही है। गुड नाईट…
अमर: कुछ कहना नहीं है तुम्हें मुझसे?
तारा: नहीं अभी नहीं।
अमर: ठीक है फिर गुड नाईट, कल मिलते हैं।
तारा: तुम भी तो कह सकते हो कुछ?
काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी अमर का जवाब नहीं आता, तो तारा को गुस्सा आ जाता है और मन ही मन गुस्से से कहती है….लगता है फोन ऑफ कर दिया है। मुझे अड़ियल कहता है और यह नहीं जानता कि खुद कितना अड़ियल है। तारा भी मुँह फुलाकर चुपचाप सो जाती है।
अगले दिन अमर और तारा का शानदार स्वागत होता है डांस स्कूल में। हर तरफ डांस स्कूल में उनके नाम के पोस्टर्स लगे हुए होते हैं। डांस स्कूल की तरफ से उन्हें बेस्ट डांसर की ट्रॉफी से सम्मानित किया जाता है। पूरा डांस स्कूल उनसे डांस की फरमाइश करने लगता है। तभी गाना बजता है…….
"कहते हैं ख़ुदा ने इस जहाँ में
सभी के लिए किसी ना किसी को है बनाया
हर किसी के लिए
तेरा मिलना है उस रब का इशारा
मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए
कुछ तो है तुझ से राबता"
अमर और तारा सिर्फ डांस ही नहीं कर रहे होते इस गाने पर बल्कि उसको जी भी रहे होते हैं। गाने का हर एक लफ्ज़ जैसे उनके दिल की हकीकत बयान कर रहा होता है। गाना खत्म हो जाता है और वो एक दूसरे की आँखों में खोए हुए होते हैं। जब पूरे हॉल में तालियों की गूँज सुनाई लगती है तब तारा और अमर एक दूसरे का हाथ छोड़ते हैं, शर्म और ख़ुशी से दोनों के चेहरे का रंग सुर्ख लाल हो जाता है।
अमर और तारा डांस स्कूल से निकलने के बाद बरिस्ता चले जाते हैं कॉफी पीने के लिए।
तारा और अमर दोनों चुपचाप कॉफी पीने लगते हैं।
तारा कुछ कहो ना, चुपचाप क्यों हो इतनी?
अमर तुमने कल रात को फोन क्यों ऑफ कर दिया था?
मैं चाहता था तुम कुछ कहो लेकिन तुम्हें तो सोने की पढ़ी थी, बस मुझे गुस्सा आ गया और मैंने फोन ऑफ कर दिया। तुम्हारा मैसेज भी मैंने सुबह ही पढ़ा था।
अमर जब तुमने सुबह मेरा मैसेज पढ़ लिया था तो जवाब नहीं दे सकते थे तुम?
बस यूँ ही नहीं दिया तुम्हारे मैसेज का जवाब, तुम्हारा गुस्सा जो देखना था मुझे।
बाप रे बहुत गुस्सा करती हो तुम और हाँ गुस्सा करते वक़्त तुम खूबसूरत नहीं, एकदम जंगली बिल्ली लगती हो। (अमर मन ही मन मुस्कुराने लगा, वो जानबूझकर तारा को चिड़ा रहा था।)
तारा एकदम गुस्से से उठती है मेज पर से और कहती है…..ठीक है मैं गुस्सैल हूँ, जंगली बिल्ली हूँ ना तो मैं जाती हूँ यहाँ से। तुम किसी और को ढून्ढ लो। अरे हाँ वो पीहू थी ना डांस शो वाली, वो ठीक रहेगी तुम्हारे लिए, चिपकू कहीं की।
अमर…..बड़ा अच्छा याद दिलाया, फोन नंबर तो दिया था वैसे उसने मुझे जाते वक़्त, पर समय ही नहीं मिला फोन करने का। आज शाम को याद से जरूर करूँगा फोन उसे।
ठीक है, शाम तक का इंतज़ार क्यों, अभी कर लो ना फोन। मैं वैसे भी जा रही हूँ, जो करना है करो।
तारा उठकर जाने लगती है, तभी अमर तारा का हाथ पकड़ लेता है और कहता है….. सॉरी तारा मैं तो बस यूँ ही तुम्हें चिढ़ा रहा था। मेरे पास नहीं है पीहू का नंबर। तुम चाहे तो चेक कर लो मेरा फोन।
अमर की बातें सुनकर तारा रुक जाती है और फिर से बैठ जाती है।
तुम मुझे कुछ भी कहकर चिड़ाओगे ना अमर, मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा। लेकिन हाँ तुम्हारे मुँह से किसी और का नाम मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी। मुझे नहीं अच्छा लगता जब तुम किसी और के बारे में बात करते हो। तुम्हारी हर गलती माफ़ है लेकिन मज़ाक में भी तुम्हारे साथ किसी और की कल्पना नहीं कर सकती मैं।
इतना प्यार करती हो तुम मुझसे तारा?
आजमाना चाहते हो क्या अमर?
मैं नहीं चाहता हमारे प्यार में ऐसा दिन आये कि मुझे तुम्हें कभी आजमाना पड़े तारा।
अमर तारा का हाथ अपने हाथों में लेता है और कहता है…. एक बार फिर से सॉरी तारा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ तारा और तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता। ना जाने कितनी देर तक वो दोनों यूँ ही बातें करते रहे अपनी ही दुनिया में खोए हुए।
कॉफी पड़ी-पड़ी ठंडी हो गयी थी लेकिन अमर और तारा के प्यार में तपिश बढ़ती जा रही थी।
❤सोनिया जाधव
Arshi khan
17-Dec-2021 09:08 PM
सच ही है अजमाइश की ये आदत कभी कभी मुश्किल हालात में ले आती है,
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Karan
13-Dec-2021 12:43 PM
इंट्रेस्टिंग...
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🤫
13-Dec-2021 12:36 PM
Bahut badhiya...
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